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bhindi farming

ऐसे उगाएंगे भिंडी या लेडी फिंगर, तो रुपया गिनते-गिनते थक जाएंगी फिंगर्स !

ऐसे उगाएंगे भिंडी या लेडी फिंगर, तो रुपया गिनते-गिनते थक जाएंगी फिंगर्स !

मार्केट हो या फिर भोजन की थाली, ऑल सीजन फेवरिट वेजिटेबल की यदि बात करें, तो लेडी फिंगर (lady finger) यानी भिंडी इस मामले में खास मुकाम रखती है। भिंडी या लेडी फिंगर उगाने की एक खास विधि ऐसी है जिसे अपनाकर, भिंडी की बंपर पैदावार से होने वाली कमाई को गिनते-गिनते किसान की फिंगर्स दर्द कर सकती हैं। यह विधि ऐसी है, जिससे भिंडी की खेती करने वाले किसानों को जबरदस्त मुनाफा हो रहा है। पारंपरिक एवं आधुनिक खेती के संतुलित सम्मिश्रण के कारण किसानों की इनकम में भी सुधार हुआ है। जैविक खाद, कृषि वैज्ञानिकों की सलाह, मशीनों की मदद, बाजार की सुलभता के कारण किसानों (Farmers) को अब पहले के मुकाबले ज्यादा लाभ मिल पा रहा है।

यूपी की मिसाल

यूपी यानी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हरदोई जिले में ताजातरीन वैज्ञानिक विधि को अपनाने से भिंडी की खेती में बेहतरीन पैदावार देखने को मिली है।

उद्यान विभाग का रोल

यहां उद्यान विभाग की तरफ से किसानों को कृषि गुणवत्ता वाली विधियों को अपनाकर खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।



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जिले के किसानों के अनुसार, गेहूं और धान की खेती की बहुतायत वाले क्षेत्र में किसान अब मुख्य फसलों के साथ ही सब्जी की खेती के लिए भी उन्मुख हो रहे हैं। इसका कारण मुख्य फसल को लगाने, देखभाल करने, पकने और फिर बाजार में बेचने में लगने वाला अधिक समय है। इंतजार लंबा होने के कारण किसान अब कम समय में सब्जी की अच्छी पैदावार से ज्यादा पैसा कमाने का मन बना रहे हैं। दीर्घकालिक फसलों पर कभी कम बारिश, कभी तेज आंधी-पानी और ओलावृष्टि से आने वाले संकट के कारण किसानों ने अपने खेत के कुछ हिस्से में वैकल्पिक खेती के तौर पर सब्जी उगाने का निर्णय किया है। किसानों के अनुसार इस फैसले से उनको 3 लाख रुपए का मुनाफा भी अर्जित हुआ। किसानों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित एक कृषि मेले में उन्हें भिंडी की खेती और उसके बीजों के विषय में विस्तृत जानकारी मिली थी। इस जानकारी ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि वे भिंडी की खेती करने के लिए और ज्यादा जानकारी जुटाने लगे।



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कृषि विभाग स्थित कृषि विज्ञान अनुसंधान केंद्र ने इन किसानों की जिज्ञासाओं का न केवल समाधान किया, बल्कि खेत का मुआयना भी किया। मिट्टी की जांच कराने के बाद किसानों को कृषि विभाग ने भिंडी लगाने, उसकी देखभाल करने के साथ ही उम्मीद के अनुसार पैदावार करने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान कीं।

3 लाख की बचत

इलाके के किसान श्रीकृष्ण ने प्रेरित होकर बतौर ट्रायल पहले अपने 1 एकड़ खेत में भिंडी की खेती शुरू की थी। उनके अनुसार इस भिंडी की पैदावार से उन्हें लगभग तीन लाख रुपयों की बचत हुई। इस सफलता के बाद श्रीकृष्ण ने धीरे-धीरे अपने पूरे खेत में भिंडी की खेती करनी शुरू कर दी। अपने अनुभव से वे बताते हैं कि भिंडी की यदि वैज्ञानिकों बताए गए तरीके से खेती की जाए तो 1 एकड़ से लगभग 5 लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है।

कमाई का सूत्र

जिले के सहायक उद्यान निरीक्षक ने ड्रिप इरीगेशन विधि को भिंडी की सेहत के लिए अति महत्वपूर्ण बताया है। उनके मुताबिक सब्जियों की इस तरह से सिंचाई से मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है।



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यहां किसान ऊंची क्यारियां बनाकर भिंडी की खेती करते हैं। ऐसा करने से वर्षा काल में यह क्यारियां खरपतवार और जलभराव से पौधों की रक्षा करती हैं। इससे भिंडी की अच्छी पैदावार होती है।

प्रेरित हो रहे किसान

श्रीकृष्ण को हुए लाभ से प्रभावित होकर जिले के अन्य किसान भी अब बड़ी संख्या में भिंडी की खेती के लिए आगे आए हैं।

उत्पादन का गणित

भिंडी की खेती से जुड़े अनुभवी किसानों के अनुसार 1 एकड़ भूमि पर करीब 45 से 50 दिनों में लगभग 50 क्विंटल भिंडी की पैदावार हो जाती है। जिले में सब्जियों की खेती के लिए किसानों को सब्सिडी के साथ-साथ सरकारी मदद भी दी जाती है। इससे किसान, वैज्ञानिक विधि से सब्जी की खेती करके अपनी आय में न केवल सुधार कर रहे हैं, बल्कि उनकी आमदनी की सफलता दूसरे किसानों के लिए भी मिसाल बन रही है।
जायद में भिंडी की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए क्या करें

जायद में भिंडी की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए क्या करें

भिंडी की खेती जायद मौसम में की जाती है। भिंडी की खेती करना आसान और उपयुक्त है। भिंडी का वैज्ञानिक नाम ऐलेबमोस्कस एस्कुलेंटेश  है। भिंडी गर्म मौसम की सब्जी है इसे इंग्लिश में ओकरा के नाम से भी जाना जाता है। इसमें बहुत से पोषक तत्व होत्ते है जो हमारे स्वास्थ को स्वस्थ बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करते है। 

अधिक उपज वाली किस्मों का चयन करें 

किसान भिंडी का उत्पादन करने के लिए बेहतर किस्मों का चयन करें। भिंडी की अधिक उपज देने वाली फसलें काशी क्रांति, काशी प्रगति, अर्का अनामिका और परभड़ी क्रांति है। इन किस्मों का उत्पादन कर किसान ज्यादा लाभ कमा सकता है। 

पौधों की वृद्धि और उपज के लिए आवश्यक जलवायु 

पौधों के अच्छे विकास के लिए उपयुक्त जलवायु रहना आवश्यक है। भिंडी गर्मी का पौधा है यह लम्बे समय तक ठन्डे मौसम को सहन नहीं कर सकती। भिंडी की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है लेकिन इसके लिए ज्यादा उपयुक्त बुलई दोमट मिट्टी को माना जाता है। 

खेत में जलनिकासी का भी अच्छा प्रबंध होना चाहिए। भिंडी की खेती के लिए पी एच स्तर 5 -6.5 के बीच में बेहतर बताया जाता है। 

पौधे के आकर और उपज को अधिक करने के लिए पौधे से पौधे की दूरी

भिंडी के पौधों को एक दूसरे के बहुत करीब लगाया जाता है। भिंडी की बुवाई पंक्तियों में की जाती है, जिसकी दूरी 12 -24 इंच होनी चाहिए। भिंडी के पौधे में होने वाली खरपतवार को नियंत्रण करने के लिए उसमे समय समय पर नराई का काम किया जाना चाहिए। भिंडी की के विकास के लिए भरपूर मात्रा में सूरज की रोशनी आवश्यकता रहती है। 

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भिंडी के उत्पादन को बढ़ाने के लिए आहार प्रबंधन 

भिंडी की खेती में वृद्धि करने के लिए किसान गोबर खाद का प्रयोग कर सकते है। भिंडी की खेती के लिए खेत को तैयार करते वक्त उसमे उर्वरक खादों का भी उपयोग किया जा सकता है। साथ ही भिंडी की बुवाई के 4 -6 सप्ताह बाद खेत में जैविक उर्वरको का छिड़काव किया जा सकता है। 

बीज उपचार 

भिंडी के अच्छे और बेहतर उत्पादन के लिए अच्छी किस्मों का चयन करना ज्यादा जरूरी है। इसके अलावा भिंडी की बुवाई का काम करने से पहले बीज का अच्छे से उपचार कर ले कही बीज रोग ग्रस्त तो नहीं है। 

यदि बीज रोग ग्रस्त रहता है तो फसल अच्छी नहीं होगी। बीज उपचार के लिए किसान 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर बीज को 6 घंटे तक उसमे भिगोकर रखे। समय पूरा हो जाने के बाद बीज को छाया में सूखा ले। 

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रोग नियंत्रण 

भिंडी की फसल में रोगो को नियंत्रित करने के लिए किसान फसल चक्र को भी अपना सकता है। इससे पौधे में कम रोग लगते है और उत्पादन भी बढ़ता है। 

फसल की रोजाना निरीक्षण करें, ऐसा करने से फसल में लगने वाले रोगो को रोका जा सकता है। कीटों की रोकथाम के लिए भिंडी पर स्पिनोसेड का छिड़काव किया जा सकता है।